भारतीय कृषि का परिचय
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भारतीय कृषि भारत की लगभग 52% आबादी कृषि व उससे सम्बन्धित कार्यो में लगी हुई है। भारत के कुल क्षे० के लगभग 51% भाग पर कृषि कार्य होता है। जबकी चीन मे केवल 11%, USA मे 20% व कनाडा मे 5% है। 1950-51 में GDP मे कृषि का योगदान 52.2% वही 2012-13 में 13.7% रह गया।
शस्य गहनता – किसी भूमि पर एक वर्ष में जितनी बार फसले उंगायी जाती है वह उस भूमि की शशस्य गहनता कहलाती है।
वर्तमान में भारत का शस्य गहनता सूचकांक 135% है। 1950-5। में 111.1% पी। पजाब की शस्य गहनता सबसे अधिक 189% है।
भारतीय कृषि की प्रमुख फसले
भारत में वर्ष में मुख्यतः तीन फसले पैदा की जाती है। रबी की फसल– इसकी बुआई अक्तूबर – नवम्बर में होती है तप्पा अप्रैल-मई में काट ली जाती है। प्रमुख फसल- गेहू , चना,जौ ,मटर रखरीफ की फसल– बुझाई जुन-जुलाई मे तपा कटाई सितम्बर अक्टूबर तक प्रमुख फसल – चावल, ज्वार ,बाजरा, भूट,भूगफली , कपास जायद की फसल बुआई मार्च मे व कराई जून तक प्रमुख फसल – तरबूज’, रखरबूज, ककड़ी, खीरा, मूग, उददा – जैसी फसले
- रबी की फसल
- रखरीफ की फसल
- जायद की फसल
रखरीफ की फसल
चावल
यह उष्णकटिबधिय फसल है। इसके लिए 25° से अधिक तापमान व 100 सेमी से अधिक की वर्षा की आवश्यकता है। कुल कृषित भूमि के 25% (1/4) भाग पर भारत मे चावल की खेती होती है। कुल खाधान्य उत्पादन में चावल का हिस्सा 42% है। भारत में चावल के प्रमुख उत्पादक राज्य क्रमश. पश्चिम बंगाल, उन्तर प्रदेश व आन्ध्र प्रदेश है। पाश्चिम बगाल व असोम में वर्ष में चाबल’ की 3 फसले (अमन’, ओस बोरो’ पैदा की जाती है। चावल के उत्पादन में भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है। चावल का वैज्ञानिक नाम ओराइजा सटाइवा है। धान के खेतो से मिथेन CH उत्सर्जित होता है। चावल की प्रमुख किस्मे- ताइचुंग, कावेरी , मंसूरी, भवानी, रत्ना पद्मा , जया’, IR-8 और जमुना है।
रबी की फसल
गेहूँ
यह शीतोष्ण जलवायु की फसल है। तापमान 10°-15 वर्षा – 50 सेमी-75 सेमी भारत विश्व का 12% गेहूँ उत्पादित करने के साथ विश्व मे देसरा स्थान रखता है। प्रथम स्थान चीन का है। देश की कुल 14% भाग पर कृषि की जाती है। भारत में गेट उत्पादक राज्य क्रमश: उत्तर प्रदेश, पजाब हरियाणा . गेहूँ की प्रमुख किस्में- कल्याण’, सोना’, राजो, सोनेरा – 63 व 64 शेरा सोनालिका भारत में हरित क्रान्ति का सबसे अनुकूल प्रभाव गेहूँ पर पड़ा
मक्का
यह ऑर्ड शुष्क जलवायु की फसल है । यह भारत के कूल बोये गए लेल के 3.67. भाग पर उगाई जाती है वर्षों – 50से 100 सेमी मक्का की प्रमुख किस्म- सरताज’, गगा, दक्कन 103 व 105 धवल , प्रभात’, अरूण किरण
दालें
विश्व की लगभग 207. दाले भारत मे उत्पन्न की जाती है दालो का सर्वाधिक उत्पादन वाले राज्य क्रमश म.प्र 24% महाराष्ट्र व राजस्थान है। प्रति किग्रा हेक्टेयर की दष्टि से पजाब का स्थान प्रथम है दलहन में चना का स्थान भारत में प्रथम हें । कुल चना का 38 • 6 / केवल म प्र में होता है जब कि कुल अरहर का 1/3 महाराष्ट्र में होता है मूंग उत्पादन में राजस्पान व उरद उत्पादन में उ० प्र०का स्थान प्रथम है।
तिलहन
देश के कुल कृषित भूमि के लगभग 1%. भाग पर तिलहन का उत्पादन होता है। तिलहन के उत्पादन में म०प्र० का स्थान तपम है जो अकेले भारत के 31% तिलहन का उत्पादन करता है। भारत के प्रमुरव तिलहन फसलें – मूंगफली सरसो सोयाबीन, तिल , अरडी व सूर्यमरवी है। ‘ मंगफली उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है। भूगफली का उत्पादन यही होता है। मूंगफली उत्पादन में गुजरात (36%)का स्थान प्रथम है। सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादन म प्र में होता है दूसरा महाराष्ट्र का, दोनो मिलकर 90 % उत्पादन करते है सूरजमुखी के उत्पादन में कर्नाटक प्रथम है।
गन्ना
यह उष्ण कटिबधीय फसल है तापमान – 20 से 27° वर्षा – 75 से 120 सेमी विश्व में गन्ना व चीनी दोनों के उत्पादन में भारत का ब्राजील के बाद दूसरा स्थान है। भारत में उत्पादित गन्ने का 4-07. उपयोग गुड़ व 60/ चीनी बनाने हेतु किया जाता है । गन्ना उत्पादन में उ०प्र० कास्थान प्रमुख है- इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र तप्पा तमिलनाडु नोट- गन्ना अनुसन्धान केन्द्र कोयम्बटूर में है।
ज्वार
विश्व में ज्वार का सबसे बड़ा उत्पादक भारत है ज्वार उत्पादन में महाराष्ट्र (लगभग 50%) का स्थान प्रथम है। । भारत में ज्वार कुल बोये गए क्षेत्र के 5.3% भाग पर बोया जाता है।
बाजरा
इसके उत्पादन में राजस्थान का स्थान प्रथम है। तापमान – 25 से 30° से. वर्षा – 30 सेमी से 50 सेमी बाजरा अफ्रीकी मूल की फसल है। यह ज्वार से भी शुष्क जलपायु में पैदा की जाती है ।
चाय-
यह भारत की प्रमुरव पेय फसल हे वर्षा – 150 – 250 सेमी तापमान – 24° से 30° c देश में चाय उत्पादन में असम का प्रथम स्थान है। 50 % विश्व मे पाय उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है । भारत में विश्व की (20%) चाय पैदा होती है। यह उष्ण आद्र एव उपोष्ण आर्द जलवाय वाली फसल ह जी पहाड़ी ढलाना पर पैदा की जाती है।
कॉफी-
इसके लिए आवश्यक A तापमान – 16 से 28°c वर्षा – 150 सेमी- 250 सेमी इसके लिर सुवाहित दालमा भामि की आवश्यकता होती है भारत विश्व की 4 3%. काफी का उत्पादन करता है | विश्व में काफी उत्पादन में भारत का स्थान बठा है जब कि पहले पर ब्राजील हे भारत में नाबाबूदन की पहाड़ियो (कर्नाटक) पर सर्वप्रथम काफी का पौधा लगाया गया था । काफी उत्पादन में कर्नाटक (लगभग 50%) स्थान प्रथम है। केन्ट्रीय कॉफी सोध संस्थान बलेन्नूर (कर्नाटक) में है
नारियल’ –
यह उष्ता कटिबंधीय जलवायु का पौधा है तापमान – 26 से 25 ° c ० वर्षा – 15० सेमी से अधिक नारियल के उत्पादन, उपभोग व निर्यात में भारत का प्रथम स्थान है। उत्पादकता मे मेक्सिको का प्रथम स्थान है। भारत में नारियल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य केरल है।
फल एंव शब्जी
देश के कुल कृषि उत्पादन में हॉर्टीकल्चर का योगदान 30. 4% (2012 – 13) है। . फलो के उत्पादन में चीन के के बाद भारत का प्रथम स्थान है। आम, केला, काजू, नीबू के उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में प्रथम है। विश्व में काजू की कुल उपज का 45% भारत में होता है। भारत काजू का सबसे बड़ा निर्यातक हैं। राष्ट्रीय काजू सोध केन्द्र प्रतूर (कर्नाटक ) मे है। नारंगी उत्पादन में नागपुर (महाराष्ट्र’ ) का स्थान प्रथम है सब्जी के उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में दूसरा है। प्याज उत्पादन में महाराष्ट्र का प्रथम स्थान है।
मसाले-
मसालो के उत्पादन में केरल का प्रथम स्थान है। केरल में 93% काली मिर्च का उत्पादन होता है। लाल मिर्च के उत्पादन मे आन्ध०प्र० (लगभग 50 % प्रथम है भारत विश्व में मसालो का सबसे बड़ा उत्पादन, उपभोक्ता व निर्यातक है। भारतीय मसाला सोध संसथान को कोझिकोड (केरल) में है भारत विश्व में सुपारी का सबसे बड़ा उत्पादक देश | कर्नाटक में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है ।
रबर-
इसके लिए उष्ण कटिबंधीय गर्म व आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है। तापमान – 25 से 35c वर्षा – 3०० सेमी० । भारत विश्व में प्राकृतिक रबर का चौथा बड़ा उत्पादक देश है। केरल राज्य में देश का लगभग 90/. रबर उत्पादित होता भारतीय रबर सोध -संस्थान कौढापम (केरल) मे है |
शब्दावली
- कृषीय भूमि:- इसके अन्तर्गत शुद्ध बोया गया क्षेत्र व परती क्षेत दोनो को सामिल किया जाता है।
- परती भूमि → जहाँ से 5 वर्षों तक कोई फसल न उगार गई हो।
- बजर भूमि → कृर्षि के लिए अयोग्य भूमि
- मिश्रित कृषि → इस कृषि के अन्तर्गत फसल उत्पादन व (Mixed Fastmira) पशुपालन किया जाता साथ -साथ है।
- नगदी फसल – ऐसी फसल जिसे किसान मुख्य रूप से धन प्रापि हेतु उत्पादित करता हैEx – गाना , तम्बाकू , जूट आदि
हरित क्रान्ति
1966 ई० के सूखे के बाद भारत में कृषि विकास की नई पद्धति अनिवार्य हो गई थी । भारतीय सदर्भ में हरित क्रान्ति की शुरूआत 1960 के दशक (मुख्यत : 1966-67) में हुई। इसका श्रेय मॉरमन बोरलाग तथा एम एम स्वामीनाथन को जाता है। सूखे के बाद धान की अधिक उपज देने वाली प्रजाति (HyV) ‘तार-चुंग ‘ तप्पा गेहू की HYV प्रजाति लरेमा, शेजा सोनार 6 4 के बीजो का आयात किया गया ।
हरित क्रान्ति के प्रमुख उद्देश्य
कृषि की अनिश्चितता में कमी लाना’, कृषि उत्पादन व उत्पादकता मे कमी करना, ग्रामीण विकास को लढ़ावा देना, हरित क्रान्ति के द्वारा वाघानो के उत्पादन एव उत्पादकता में भारी वृद्धि हुई। इसका सबसे अधिक प्रभाव गेहूँ पर दुआ इसके उत्पादन में (6गनी लगभग 562%) की वृष्टि दर्ज की गयी जब कि चावल में भी 3 गुनी वृद्धि हुई । नोट- ( 2000 – 01) तक ये वृद्धि है । हरित क्रान्ति से पूर्व ( 1965)ई० मे जहाँ प्रति हेस्टेयर 5.05kg उर्वरक उपयोग हो रहा था वही 2011-12 में यह बढ़कर 14.4kg प्रति हेक्टेयर हो गया कृषि विशेषज्ञो के अनुसार भारत मेंनईट्रोजन , फास्फोरम व पोटाश का मानक अनुपात 4: 2:1 है वर्तमान में इसके 6 .4 : 2.7:। अनुपात का प्रयोग हो रही है।
हरित क्रान्ति के प्रमुख क्षेत्र
- पंजाब
- पश्चिमी उ०प्र०
- हरियाणा
भूमि सुधार:
ब्रिटिश सासन के दौरान राजस्व वसूली के जमींदारी ,रैयतवाड़ी व महालवाड़ी कृषि व्यवस्था में कृषको का भूमि से लगान अधिक नहीं रह गया था । फलस्वरूप भूमि की उत्पादकता काफी कमि थॆ जोत का आकार का वितरण – प्रारूप काफी असमान था | भूमिहीन मजदूरो की सं० काफी अधिक थी। अतः स्वंतंत्रता के बाद इन चुनौतियों पर ध्यान देते हुए 1948 मे, भामि सुधार संबंधी कानून बनाया गया
बिचोलियो का अन्त –
स्वतंत्रता के बाद जमीदारी प्रथा का उन्मूलन किया गया जिससे काश्तकारो को जमीन का स्वामित्व मिला। 1950-60 के बीच 2.60 हजार जमीदारा व “निचौलियो की समाप्ति की गई।
काश्तकारी सुधार –
इसके माद्यम से किसानो को जीत का अधिकार प्रदान करने तथा जमीदारों के अन्याय से रक्षा करने का अधिकार दिमा गया।
हथबंदी
भारत में कृषि भूमि का 48% भाग केवल 10% कृषको के पास है। इस विषमता को दूर करने के लिए सरकार ने 1954 में हदबंदी कानून लाया जिसके तहत अधिकतम भूमि की सीमा निर्धारित की गई व अतिरिस्त भूमि के पुनर्वितरण का लक्ष्य रखा गया
चकबंदी-
इसके द्वारा जोत के आकारो को और छोटी होने से रोकने व भामि को इकट्ठा कर बड़े जोतों के माध्यम से सहकारी कुषि’ पर बल दिया गया । 1980 के दशक में सभी राज्यो में कानून बना खासकर पजाब, हरियाणा व प० उ०प्र० में सर्वाधिक कार्य हुए | बिहार व पक्षिम बंगाल मे इसे आज तक लागु नहीं किया गया है। देश मे भू-जोतो का औसत आकार राजस्थान में सबसे अधिक है उसके बाद पजाब ।
जोत | जोत का आकार | प्रतिशत |
सीमान्त जोत | हेस्टेयर से कम | 59% |
छोटी जोत | 1- 4 हेस्टेयर | 32.2 |
मध्यम जोत | 4-10 हेस्टेयर | 7 .6 |
बड़ी जोत | 10 हेस्टेयर से अधिक | 1.6 |