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स्थायी ऊतक
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स्थायी ऊतक दो प्रकार का होता है।
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सरल स्थयी ऊतक :-
- एपिडर्मिस ऊतक के निचे वाले परत को सरल स्टाहइ ऊतक कहते है पैरेंकारमा इसमें अधिक पाया जाने बाला ऊतक है इसमें रिक्तया ज्यादा होता है दो कोशिकाओं के बिच।
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ये भोजन भंडारण करता है कुछ पैरेन्काइमा ऊतकों में क्लोरोफिल पाया जिससे प्रकाश संश्लेषण सम्पादन होता है उसे ऊब यत्जि जी जकीरेबजौना कहा जाता है।
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जलिए पौधों में पैरेन्काइमा की कोशिकाओं के मध्य हवा की गुटिकाऐं पायी जाती है इसे इस पैरेन्काइमा को ऐरेन्काइमा कहा जाता है।
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पौधों में लचीलापन विणा टूटे कलेन्काइमा के कारण तथा यांत्रिक सहायता बजी प्रदान करता है।
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इस ऊतक की कोशिकाऐ जीवित, लम्बी तथा अनियमित ढंग से होता है तथा कोने में मोती होती है।
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इसमें रिक्तिया दो कोशिकाओं के बिच कम होता है।
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स्क्लेरेन्काइमा:-
- यह ऊतक पौधों को कठोर और मजबूती प्रदान करती है जैसे :-नरियल का छिलका
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ये मृत कोशिका का पतली तथा लम्बी ऊतक होती है जिसका कारण इस ऊतक के भिंती लिगिनन के कारण मोती होती है।
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